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Description
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क्या समानता पर आधारित हिन्दू-मुस्लिम विवाह संभव है? क्या बिना धर्मान्तरण के कोई मुस्लिम परिवार अपने घर के युवा-युवती का विवाह किसी गैर-मुस्लिम से करेगा? क्या विवाह के लिए किया गया धर्म-परिवर्तन सत्य-निष्ठ है? यदि ऐसे अंतर-धार्मिक होने हैं तो किन बातों का ध्यान रखना होगा? एक हिन्दू को किन १० बिन्दुवों के बारे में विवाह पूर्व अपने मुस्लिम साथी से पूछना ही चाहिए? क्यों ऐसे युगलों को आरम्भ में धर्म-ग्रंथों की ओर रूचि नहीं होती? और क्यों विवाह के ठीक पहले ही सारे नियम आदि सामने रखे जाते हैं? अंतर-धर्मिक हिन्दू-मुस्लिम विवाह से सम्बंधित ऐसे कई अनेक जटिल प्रश्नों का उत्तर देती है ये पुस्तक “हिन्दू-मुस्लिम शादी”—जो ये दर्शाती है कि ऐसे विवाहों में इस्लाम के काफिरों (या कुफ्र) के प्रति कड़े नियम और रवैये के कारण गैर-इस्लामिक व्यक्ति को ही समझौते करने पड़ते हैं। पुस्तक बताती है कि “प्रेम के सहारे धर्म के लिए फुसलाना विवाह के लिए धर्म-परिवर्तन कराने की पहली सीढ़़ी है।” पुस्तक लेखक दिलीप अमीन के 18 वर्षों के अनुभव का सार है। Interfaithshaadi.org पर एक मार्गदर्शक के तौर पर लेखक ने लगभग १२०० अमेरिकी तथा कई अन्य देशों के युवाओं जो अंतर-धार्मिक विवाह सम्बन्ध में बंधना चाहते थे को सही मार्ग दिखाया है।