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About The Book
Description
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वीर बंदा बैरागी भारतीय इतिहास का वह चमकता हुई नक्षत्र है जिससे भारत के सोए हुए स्वाभिमान को जगाया जा सकता है। आज के युवाओं को वीर बंदा बैरागी के तप त्याग व बलिदान से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। भाई परमानंद ने आजादी की क्रांति की लौ को ज्वालामुखी बनाने के लिए बंदा बैरागी का चरित्र इतिहास से निकालकर भारत के सामने रखा। भाई परमानंद वीर बंदा बैरागी को असाधारण पुरुष मानते थे। एक समय जब मुगलों की तलवार भारतीय संस्कृति को चीर रही थी लोगों के जनेऊ उतारे जा रहे थे चोटियाँ काटी जा रही थीं सिरों को क मीनारें बनाई जा रही थीं बलपूर्वक हजारों-लाखों का धर्मभ्रष्ट किया जा रहा था अनाथ बच्चे बिलख रहे थे गौमाता मारी जा रही थी मंदिर ध्वस्त हो रहे थे किसान आत्महत्या कर रहे थे उस समय गुरु गोविंद सिंहजी के आह्वान पर इस वीर महापुरुष ने भक्ति का मार्ग छोड़कर शक्ति का मार्ग अपनाया। योगी योद्धा बन गया संत सिपाही बन गया; माला को फेंक भाला उठा लिया और सेना खड़ी कर अन्याय-अत्याचार का प्रतिकार करके अपने राज्य की स्थापना कर सिक्के जारी किए। किसान व मजदूरों पर अत्याचार की समाप्ति कर उनको जमीन का मालिक बनाया। ऐसा उज्ज्वल प्रेरक वीर और शौर्यपूर्ण चरित्र जन-जन के सामने लाया जाना समय की आवश्यकता है। प्रस्तुत पुस्तक के लेखक ने इस अभाव को पूर्ण करने का सार्थक और सफल प्रयास किया है। असाधारण वीर और योद्धा बंदा वीर बैरागी की प्रेरणाप्रद जीवनी।.