पुस्तक के बारे मेंरू झारखंड का पूर्वी सिंहभूम जिला ओडिशा का मयूरभंज जिला एवं पश्चिम बंगाल का झारग्राम जिला संथाल जनजाति का गढ़ है। झारखंड का ही संथाल परगना का दुमका जिला संथाल जनजाति के जीवन एवं अस्तित्व का परिचायक है। जहाँ दुमका जिला संथाल परगना का वह हिस्सा है जिसे 1832 ई. में दामिन-ए-कोह के अंतर्गत बसाया गया था वही पूर्वी सिंहभूम का मोसाबनी प्रखंड संथाली जनजाति के झारखंड ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल के उस वृहद भूभाग का हिस्सा है जहाँ से संथाल लिपि के प्रणेता पंडित रघुनाथ मुर्मू एवं भारत की वर्तमान राष्ट्रपति श्री द्रौपदी मुर्मू संबंधित है। इस पुस्तक के माध्यम से संथाल जनजाति का वृस्तृत परिचय पेश किया गया है एवं उनके कला धर्म रीतिरिवाज लोकसंस्कृति आदि के बारे में जानकारी दी गयी है और उनके 60 से अधिक लोकगीतों का संकलन पेश किया गया है। अचल प्रियदर्शी राँची स्थित जनजातीय अनुसंधान संस्थान में संथाल जनजाति के उपर शोध सहायक है। इसके अलावा वह एक यशस्वी प्रणेता है जिन्होंने अभी तक चार पुस्तक दो काव्य-रचना और कई शोध-पत्रिकाओं के लिए शोधपत्रों की रचना की है। वह प्रतिभागी अवलोकन (participant observation) के सिद्धांत पर शोध क्रिया करते है। इसके अलावा उन्होंने हार्वर्ड डिविनिटी स्कूल से Religion Conflict and Peace Initiative में सर्टिफिकेट कोर्स किया है। अचल एक इतिहासकार नृवंशविज्ञानशास्त्री भूतपूर्व व्याख्यता एवं जेपीएससी के साक्षात्कार तक पहुँचे हुए अभ्यर्थी है। वह सिविल सर्विसेज के अभ्यर्थियों का मार्गदर्शन करते है। इसके अलवा वो झारखंड एवं जनजाति के विषय में पारंगत जानकर है। साथ ही वर्तमान काल मे इंटीग्रिटी मीडिया दिल्ली में एडिटोरियल में सहयोग देते है।
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