इस संग्रह की कविताएं बाह्य जगत से अन्त: जगत की यात्रा के निमित्त शब्द-सेतु का निर्माण करती हैं। गंगाजल के आचमन से पूर्व हृदय गंगा को निर्मल बनाने का आह्वान करती हैं। कविता अपने चरम शिखर पर प्रार्थना का रूप ले लेती है। इस प्रार्थना में सर्वमंगल की कामना है और जन-जन के उत्थान का स्वर भी। अनुपमा श्रीवास्तव ''अनुश्री'' की कविताएं भौतिक युग की पराकाष्ठा के बीच आध्यात्मिक धारा का अभ्युदय हैं।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.