Hum Hushmat : Vol. 1

About The Book

हम हशमत-1 ‘हम हशमत’ बोलते शब्द-चित्रों की एक घूमती हुई रील है। एक विस्तृत जीवन-फलक जैसे घूमता है और सामने एक के बाद एक चित्र उभरते जाते हैं - साफ़ और जीवंत। और अंत में जब पूरी रील घूम जाती है तो एक कथा अपने-आप बुन जाती है - एक लंबी जीवन-चित्र-कथा जिसमें हर चित्र घटना है और हर चेहरा नायक। इन चेहरों में विख्यात लेखक हैं पत्रकार हैं और अन्य अज़ीज़ हैं जिनमें से बहुतेरे आपके परिचित हैं। पार्टियाँ और दावतें आपने भी देखी होंगी लेकिन टैक्सी ड्राइवर और नानबाई जैसे लोगों के बारे में आप शायद न जानने का भाव दिखाएँ जबकि वास्तव में आप इन्हें भी जान रहे होते हैं - किसी भी मोड़ पर किसी भी समय इनसे आपकी मुलाक़ात हो जाती है। यही चेहरे हैं जिनसे ‘हशमत’ मिलते हैं और जो एक-दूसरे से अलग होकर भी परस्पर जुड़े हुए हैं तथा उसी जीवन-प्रवाह के अंग हैं जिसमें हम-आप और सारे ही लोग बह रहे हैं। ‘हशमत’ को जीवन के सही और सम्पूर्ण मूल्यों की शिनाख्त की बेचैनी है। अंतरंग बातचीत और अपनी तटस्थ दृष्टि के ज़रिए वे साहित्य के वास्तविक संदर्भों को खोजना और समाज व व्यक्ति के सत्य को उजागर करना चाहते हैं वैचारिक गुत्थियों और व्यवस्थामूलक पेचीदगियों को सुलझाना चाहते हैं। और अंत में जब ‘हशमत’ अपना परिचय भी दे डालते हैं तो पाठकीय जिज्ञासा सुखद विस्मय में बदल जाती है क्योंकि ‘हशमत’ के रूप में स्वयं कृष्णा सोबती हैं जिन्होंने ‘हम हशमत’ जैसी समर्थ रचना द्वारा फिर यह सिद्ध कर दिया है कि वह एक सिद्धहस्त कथा-लेखिका के साथ-साथ सार्थक रचनादृष्टि से संपन्न शब्द-चित्रकार भी हैं।
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE