Hum Na Marab

About The Book

हर बड़ा लेखक अपने सृजनात्मक जीवन में जिन तीन सच्चाईयों से अनिवार्यतः भिडंत लेता है वे हैं- ईश्वर काल तथा मृत्यु ! अलबत्ता कहा जाना चाहिए कि इनमे भिड़े बगैर कोई लेखक बड़ा भी हो सकता है इस बात में संदेह है ! कहने की जरूरत नहीं कि ज्ञान चतुर्वेदी ने अपने रचनात्मक जीवन के तीस वर्षों में उत्कृष्टता की निरंतरता को जिस तरह अपने लेखन में एकमात्र अभीष्ट बनाकर रखा कदाचित इसी प्रतिज्ञा ने उन्हें हमारे समय के बड़े लेखकों की श्रेणी में स्थापित कर दिया है ! हम न मरब में उन्होंने मृत्यु को रचना के प्रतिपाद्य के रूप में रखकर उससे भिडंत ली है ! नश्वर और अनश्वर के द्वैत ने दर्शन और अध्यात्म में अपने ढंग से चुनोतियों का सामना किया; लेकिन रचनात्मक साहित्य में इससे जूझने की प्राविधि नितांत भिन्न होती है और वही लेखक के सृजन-सामर्थ्य का प्रमाणीकरण भी बनती है ! ज्ञान चतुर्वेदी के सन्दर्भ में यह इसलिए भी महत्तपूर्ण है कि वे अपने गल्प-युक्ति से मृत्युबोध के केआस को जिस आत्म-सजग शिल्प-दक्षता के साथ एस्थेटिक में बदलते हैं यही विशिष्टता उन्हें हमारे समय के अत्यन्तं लेखकों के बीच ले जाकर खड़ा कर देती है !
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