कभी-कभी प्यार में गलत और सही का फ़ैसला करना सबसे मुश्किल हो जाता है... हमेशा तुम सही मैं गलत क्यों सिर्फ़ एक रिश्ता नहीं बल्कि उन अनकहे जज़्बातों की कहानी है जहाँ प्यार के साथ-साथ तकरार शिकायतें और सवाल भी साँस लेते हैं।ये किताब उन लोगों के लिए है जिन्होंने रिश्तों में अपनी सच्चाई खो दी सिर्फ़ इसलिए ताकि दूसरा खुश रहे। यह कहानी है एक ऐसे प्यार की जो अधूरा होकर भी पूरा लगता है... जहाँ दोनोंएक-दूसरे से प्यार करते हैं मगर समझ कहीं पीछे छूट जाती है।हर पन्ने पर आपको वो एहसास मिलेगा जो आपने कभी किसी से कहा नहीं -वो गुस्सा वो तन्हाई वो क्यों मैं ही हमेशा गलत वाला दर्द... अगर आपने कभी किसी को अपनी हद से ज़्यादा चाहा है तो यह किताब आपके दिल की हर अनकही बात कह जाएगी।लेखकः गणेश सिंह कुँवरएक ऐसी कलम जो सिर्फ़ लिखती नहीं महसूस कराती है।
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