इबादत महज़ एक पुस्तक नहींकविता नहीं बल्किएक जज्बात है। इबादत पावन प्रेम को जीवित करने काएक प्रयास है। इबादत समाज से एक प्रश्न भी है और एकसंदेश भी है। इबादत प्रेम के दो पहलुओं-संयोग और वियोग का एक अनूठा मिश्रण है। इबादत में प्रेम के सभी स्वरूपों का वर्णन किया गया है। वर्तमान में प्रेम के अर्थ का अनर्थ जो समाज ने कर दिया है इबादत उसे वापस उसका स्वरूप देने का प्रयास है। इबादत न केवल आपसी बल्कि वतन से भी प्यार को दर्शाती है। हर आदमी के लिए उसका पहला प्यार वतन होना चाहिए इबादत यही संदेश देने प्रस्तुत है।
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