आपका लेखन बहुत ही प्रभावी और मन में बसने वाला है। सरकारी कार्यभार की इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी के बाद भी आपने जो लेखन किया है वो माँ सरस्वती की कृपा के बिना संभव नहीं है। माँ सरस्वती आपको इसी तरह लिखने के लिए प्रेरित करती रहे। — अमजद अली खान पद्म विभूषण सरोद वादक महेंद्र जी की शायरी बताती है कि वह अपने एहसास की हम नवाई के कायल हैं। यही एहसास कभी उनकी जज़्बाती ज़िंदगी के मुख्तलिफ़ रंगों को जुबान देता है तो कभी समाजी हकीकतों को मुतासिर कुन अंदाज़ में पेश करता है। उन्होंने नज़्में भी कहीं है और गजलें भी । नज्मों में जहां उनका तखलीकी हुनर मानी खेज़ वज़ाहतों का तर्जुमान है तो ग़ज़लों में ग़ज़ल की रिवायती इशारियत के साथ रूमानी जज़्बों की वाकिआ बयानी भी है और तजुर्बाती ज़िंदगी की अकासी भी । — वसीम बरेलवी प्रख्यात शायर डॉ. महेंद्र सिंह जी पुलिस के बड़े अधिकारी हैं। क़ीमत के इस दौर में उनकी रचनाएं जीवन मूल्यों और मानवीय संवेदनाओं को पाठक के सामने रखती हैं यह देखकर आनंद हुआ। आपका ग़ज़ल संग्रह इबारत मानवीय हृदय में उठने वाले मनोभावों और मूल्यों का जीवित दस्तावेज़ है। आपकी जीविका भले ही सरकारी है लेकिन आपका जीवन और रचनाएँ बहुत 'असरकारी' हैं। हार्दिक शुभकामनाएं । — आशुतोष राणा फ़िल्म कलाकार
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