नैसर्गिक-सहजता और ऋजु सरलता सृजन का आंतरिक सौंदर्य है जो मधु मिश्रा की कविताओं में इच्छाओं के सूरजमुखी बनकर खिला है। तमाम आबनूसी अंधेरों और रेशमी धूप के उजालों के बीच से गुजरना पड़ता है अनुभूति के बीज को इच्छाओं के सूरजमुखी-सा खिलने के लिए। एक कवयित्री-मन गृहिणी के जीवन के सुख-दुख की भावयात्रा है- ये कविताएं जिनमें परिवार समाज से और गांव शहर से बतियाता हुआ मौजूद है।
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