प्रभाकर श्रोत्रिय द्वारा रचित नाटक इला विद्रोह की कथावस्तु है। यह नाटक अपने अंदर स्त्री-पुरुष की परस्पर अतिवादी दो प्रवृत्तियों (प्रकृतियों-विकृतियों) के भयावह अंतर्विरोध की त्रासदी को एक साथ झेलता अतीत से भविष्य तक फैली एक शाश्वत ज्वलंत समस्या का अत्यंत समकालीन सार्थक और उल्लेखनीय आधुनिक दस्तावेज है। लेखक ने विज्ञान से लेकर मनोविज्ञान तक धर्म से लेकर कला तक के अनेक चित्रों को कुशलता से उभारा है। आशा करते हैं कि हमारा यह प्रयास पाठकों के लिए रूचिकर साबित होगा।