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About The Book
Description
Author
मेरी तीसरी पुस्तक (काव्य) का नाम इन्द्रधनुष मैंने इस कारण रखा है कि इस पुस्तक में मेरी विभिन्न अवसरों पर भावनाएं व्यक्त हैं। कभी दुःख में प्रभु स्मरण के लिए भजन लिखे कभी विरह में प्रेम रस में डूबी हुए लोक गीत (अवधी तथा भोजपुरी में) रच डाले कभी रुमानियत में मुहब्बत का इजहार कर डाला तो कभी किसी सामाजिक एवं सामयिक घटना से उद्विग्न होकर क्रोध व्यक्त कर डाला। कुल मिलाकर मेरी इस पुस्तक में पाठकों को वे सब रंग पहने को मिलेंगे जिससे न केवल उनका मनोरंजन होगा अपितु वे मेरे भजनों एवं लोक गीतों से भी जुड़ाव महसूस करेंगे। मैंने अपनी पहली पुस्तक सुलगते एहसास अपने माता पिता एवं अपने दोनों पुत्रों को समर्पित की थी इसी प्रकार मेरी यह पुस्तक इन्द्रधनुष मेरे सब प्रशंसकों को समर्पित है जिन्होंने मुझे प्रेरित किया कि मैं उत्कृष्ट सृजन करती रहूँ।