सच्चा प्रेम कोई पल भर का क़िस्सा नही होता। ये एक लम्बा सिलसिला है जो कच्चे धागे के पुल पर चलने जैसा होता है। प्रेम को कुछ दीवानों ने तपस्या भी कहा है। एक ऐसी तपस्या जो तप की अवधि के हिसाब से फलदायी होती है। ये कहानी उन तमाम आशिक़ों के लिए जो कभी प्यार में हार नहीं मानते। दुनिया उनको पागल मज़नू या आशिक़ के नाम से बुलाती है। कुछ लोग समझौता कर लेते हैं और अपने प्यार को भूलकर किसी और के साथ नयी ज़िन्दगी की शुरुआत कर लेते हैं। दुनिया उन्हें समझदार कहती है। लेकिन वास्तव में ये बहुत कमजोर होते हैं। --- मूल रूप से देवरिया के गुरुग्राम हरियाणा में रह रहे युवा हिन्दी लेखक अंकित गुप्ता की ये पहली किताब है। अंकित इस समय स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। अंकित गुप्ता को कहानियों के प्रति बचपन से लगाव था। इसी लगाव व रूचि को अपने जीवन में अहम हिस्सा देते हुए इन्होंने कहानी लेखन शुरू किया। इसी का नतीज़ा है कि आज इनकी किताब को आप पढ़ सकेंगे।
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