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About The Book
Description
Author(s)
मशहूर शायर 'मनुव्वर राना' का कहना है कि इक़बाल के जेहन में हमेशा वह हिन्दुस्तान था, जो किसी सरहद में नहीं बँटा था। सर मुहम्मद इक़बाल अविभाजित भारत के प्रसिद्ध कवि, नेता और दार्शनिक थे। उर्दू और फ़ारसी में इनकी शायरी को आधुनिक काल की सर्वश्रेष्ठ शायरी में गिना जाता है। इक़बाल को ग़ज़लों की तरह नज़्में लिखने में बड़ी महारत हासिल थी। उनकी दर्दभरी नज़्में सुनकर लोग रोने लगते थे।. तेरे इश्क़ की इन्तिहा चाहता हूंमिरी सादगी देख क्या चाहता हूं. सितम हो कि हो वादा-ए-बे-हिजाबीकोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँ. ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों कोकि मैं आप का सामना चाहता हूँ. ज़रा सा तो दिल हूँ मगर शोख़ इतनावही लन-तरानी सुना चाहता हूँ. कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहल-ए-महफ़िलचराग़-ए-सहर हूँ बुझा चाहता हूँ. भरी बज़्म में राज़ की बात कह दीबड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ