इर्दगिर्द में दो ।मुख्य पात्र महावीर और हरदेव है जो एक सामाजिक सर्वेक्षण करते है। हरदेव एक सामाजिक संस्था में कार्य करता है। उस संस्था द्वारा एक आर्थिक सर्वेक्षण करवाया जाता है। यह कार्य संस्था हरदेव को सौंपती है। हरदेव इस कार्य में अपने मित्र महावीर की मदद लेता है। महावीर एक सहृदय और संवेदनशील प्रकृति का इंसान है। महावीर हरदेव के साथ-साथ समाज के उस हर वर्ग से मिलता है जिसका जिक्र हम हर जगह सुन सकते हैं। महावीर उस निम्न वर्ग के दुखों बीमारियों और अभावों को देख कर रो पड़ता है। उसे लगता है कि सर्वेक्षण से इन वर्ग के लोगों की समस्याएं दूर हो पाएंगी या हमेशा की तरह केवल एनजीओ और नौकरशाही का ही भला होगा । प्रस्तुत उपन्यास में महावीर ने समाज में व्याप्त विद्रूपताएं शोषण अभाव घृणा अशिक्षा अंधविश्वास व अत्याचार का सचित्र वर्णन तो किया ही है साथ ही साथ निम्न वर्ग एवं मध्यम वर्ग के नारी जगत की समस्याओं को भी प्रमुखता से उभरा है। जहाँ एक ओर अभावग्रस्त जीवन का चित्र उपन्यास में मिलता है वहीं दूसरी ओर संपन्न वर्ग के विलासिता पूर्ण जीवन का वर्णन भी अपनी पूर्ण वास्तविकता के साथ प्रकट होता है। इसके अतिरिक्त लेखक हमारे समाज में व्याप्त राजनीति भ्रष्टाचार नौकरशाही और रिश्वतखोरी जैसे समस्याओं की ओर भी पाठक का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहा है जो कि बहुत हद तक लोगों की स्थिति को बदलने में बाधक है और शायद राष्ट्र और समाज के पिछड़ेपन को बनाए रखने के लिए यह समस्याएं मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।.
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