Is Paurushpurna Samay Mein
Hindi

About The Book

इस संकलन की कविताएँ कात्यायनी की रचना-यात्रा के एक विशेष दौर की गवाही देती हैं। यह विचारों के सीझने-पकने और कई तरह के काव्यात्मक साँचों में अलग-अलग ढंग से ढलने का दौर था। विद्वज्जनों के अभिशापों जिप्सियों जैसी आवारगी से भरी आत्मा नमकसार के ज़ख़्मों हृदय में गड़े जीवन के नाख़ूनों सतत् विद्रोह में ही जीने की शपथों मनुष्यता की विकल आत्मा के अनुसन्धान अनिद्रा-निश्चितता से भरे प्रेम दोस्तियों और युद्धों तथा यात्रा की निरन्तरता और मानवता के भविष्य में अविचल आस्था के बिना ऐसी कविताएँ नहीं लिखी जा सकतीं। ये कविताएँ लोगों और चीज़ों की ज़िन्दगी की तमाम सरगर्मियों के बीच खड़ी कविताएँ हैं जो ग्रीक कवि ओडिसियस इलाइटिस के इस विचार की साझीदार हैं कि ‘शुद्ध विचार सिर्फ़ पुस्तकालयों और मीनारों में ही सिमटा हुआ रह सकता है।’
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