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About The Book
Description
Author
भारत के वैदिक साहित्य के आध्यात्मिक आयाम में विविध उपनिषद् उपवेद के रूप में जाने जाते हैं और उनमे सबसे पहला उपनिषद् ईशावास उपनिषद् कहलाता है | ईशावास उपनिषद् में मात्र 18 मंत्र हैं जिनके माध्यम से ज्ञान और कर्म की अतिसूक्ष्म और गहन किन्तु सहज मीमांसा की गई है | वैदिक साहित्य की प्रेरणा की अच्छी पकड़ रखने वाले मनीषी प्रोफ. प्रेम मोहन लखोटिया द्वारा प्रस्तुत है पद्य प्रवाह में इस उपनिषद् के मंत्रों का हिंदी में ललित रूपान्तरण | इस रूपान्तरण में मंत्र ऋचाओं के शब्दों के संदर्भित अर्थ के भावों का पल्लवन किया गया है | सुरुचिपूर्ण मौलिकता के साथ यह पुस्तक इसके पाठकों को अपने जीवन में अनुसरणीय सत्य के संधान के लिए प्रेरित करती है |