: इस पुस्तक में राह-ए-इश्क़ में आनेवाले तूफ़ान को दर्शाने का प्रयास किया गया है। इश्क़ ज़ात मज़हब सरहद हैसियत औकात नहीं देखता है। क्योंकि इश्क़ अंधा होता है इश्क़ में और कुछ दिखाई नहीं देता है। हाँ मगर कोई इश्क़ में दिल लगाता है तो कोई दिमाग़। दिल और दिमाग़ एक दूसरे की कहाँ सुनते हैं। कहते हैं कि हर सफल व्यक्ति के पीछे एक औरत का हाथ होता है।पर ये भी सच है कि आज के समय में लड़कियां सिर्फ सफल व्यक्ति को ही चुनती हैं। इसमें कोई हर्ज नहीं है। पर सैलेरी देखकर प्यार करना कहाँ तक उचित है। आज के समय में यदि लड़का और लड़की दोनों नौकरी कर रहे हों तो लड़कियां कभी भी अपने अधीनस्थ कर्मचारी से विवाह के बंधन में बंधना नहीं चाहती हैं। तो क्या ये इश्क़ है या फ़िर एक समझौता? ये इश्क़ तो हो ही नहीं सकता क्योंकि इश्क़ दिमाग़ से नहीं दिल से होता है। कहते हैं के ज़ात-मज़हब औक़ात देखकर प्यार किया जाए। अब कितना सोच समझकर प्यार किया जाए।। रशीद अकेला!
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.