इस पुस्तक इतिहास के पन्नों से झाँकती कुछ प्रेम कहानियों के होने की आश्वस्ति है एक ईमानदार स्वीकारोक्ति भी कि जहाँ तक बन पड़ा है इनमें इतिहास के तथ्यों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। सचमुच लेखक की आश्वस्ति के साथ जब हम ये सत्य कथाएँ पढ़ते हैं तो प्रारंभ में बेशक उर्दू दां भाषा शिल्प की बहुलता हमें चौंकाती है लेकिन बहुत जल्दी हम उसे भूल इन प्रेम कथाओं के संजीदा और कशिश भरे प्रसंगों में डूबते चले जाते हैं। लेखक की कहानियों में जिस तरह की भाषा-शिल्प का उपयोग किया गया है वह प्रेम और रूमानियत के उजले पक्ष की ओर संकेत करता दिखता है। कई स्थलों पर लेखक ने नकारात्मकता के माहौल में सकारात्मकता के भाव ढूंढ कर उन्हें रेखांकित करने और पाठकों का ध्यान आकर्षित करने में सफलता पाई है। शायद एक समय ऐसा आए कि हम उनकी कहानियों से इतिहास को और भी अच्छे ढंग से समझ सकें।इतिहास जैसे शुष्क संदर्भों में प्रेम को खोज कर उसे स्नेह के भावों से उकेरना लेखक के शिल्पबोध की गहनता और दृष्टि को दिखलाता है।
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