Islam Dharm ki Rooprekha

About The Book

हिन्दू-धर्म में जैसे अनेक सम्प्रदाय तथा उनके सिद्धान्तों में परस्पर भेद है वैसे ही 'इस्लाम' की भी अवस्था है। इन कठिनाइयों से बचने के लिए मैंने 'कुरान' के मूल को उन्हीं शब्दों में केवल भाषा के परिवर्तन के साथ 'इस्लाम धर्म' को रखने का प्रयत्न किया है। बहुत कम जगह आशय स्पष्ट करने के लिए कुछ और भी लिखा गया है। ग्रन्थ लिखने का प्रयोजन हिन्दुओं को अपने पड़ोसी मुसलमान भाइयों के धर्म की जानकारी कराना है जिसके बिना दोनों ही जातियों में एक-दूसरे के विषय में अनेक भ्रम आये दिन उत्पन्न हो जाया करते हैं। यह उक्त अभिप्राय का कुछ भी अंश इससे पूर्ण हो सका तो मैं अपने श्रम को सफल समझूँगा।
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