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About The Book
Description
Author
‘प्रभा खेतान के उपन्यासों में स्त्री शोषण के विविध आयाम’ असम विश्वविद्यालय सिलचर असम के हिन्दी विभाग में पीएच.डी के लिए प्रस्तुत किया गया शोध का एक अंश है। पीएच.डी की डिग्री हो जाने के बाद इसे एक पुस्तक का रूप देने का प्रयास किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक के पूर्णद्ध में लेखिका प्रभा जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला गया है। जिसके तहत उनके काव्य संग्रह अनुवाद-कार्य उपन्याय लेखन सम्पादन आदि का विवरण है। इसके अतिरिक्त उनके चिंतन साहित्य में सात्र के अस्तित्ववाद भूमंडलीकरण और ब्रांड संस्कृति पर भी थोड़ा बहुत प्रकाश डाला गया है। इसी दर्शन से प्रभावित होकर लिखे गए उनके आठ उपन्यासों यथा- आआ पेपे घर चले तालाबंदी अग्निसंभवा एड्स छिन्नमस्ता अपने अपने चेहरे पीली आंधी और स्त्री पक्ष जैसे उपन्यासों में उभरी स्त्री विमर्श व विश्लेषण को केन्द्र बिन्दु में रखा गया है। इस विश्लेषण में स्त्री जीवन के मनोवैज्ञानिक आयाम के रूप में उसके अंतर्द्वंद्व दमन कुंठा काम अतृप्ति से कुंठित नारी हताशा और नैराशय हीनता ग्रंथि तनाव विवाहरहित यौन जीवन विवाहेतर प्रेम संबंध अपराध-बोध की भावना संबंधों में अलगावबोध आक्रामकता अंह आदि पर सोदाहरण प्रकाश डाला गया है। उनके उपन्यास इस तथ्य को बार-बार दोहराते हैं कि स्त्री को अपने अस्तित्व के लिए स्वयं ही सामने आना होगा | इस प्रकार स्त्री विमर्श या स्त्री सशक्तिकरण की यह चेतना समाज में स्त्री को आगे बढ़ना सिखाता है काँटों भरी राह पर चलना सिखाता है अपने बारे में सोचना और निर्णय लेना सिखाता है दुनियाँ में अपनी जगह स्थापित करना भी सिखाता है। प्रस्तुत पुस्तक स्नातकोत्तर अध्ययन एवं स्त्री विमर्श पर शोध करनेवाले विद्यार्थियों के लिए एक सहायिका होगी।