ये कहानियाँ इटली के बारे में हैं मगर हर महान कलाकृति की तरह सारी दुनिया के आम लोग अपनी ज़िन्दगी अपने सुख-दुख अपने जीवन-संघर्ष अपनी भावनाओं और सपनों के प्रतिबिम्ब इनमें देख सकते हैं। ये क़िस्से अनेक विषयों को छूते हैं। सामाजिक-राजनीतिक घटनाओं से लेकर दन्तकथाएँ और रोज़मर्रा के जीवन के दृश्य तक इनमें जीवन्त हो उठते हैं। इनमें हड़ताली मज़दूर हैं सागर किनारे के मछुआरे और उनकी कथाएँ हैं इटली के कामगार लोगों के प्रेम और वियोग की गाथाएँ हैं माँओं की शान में क़सीदे हैं और कैप्री के बहुरंगी जीवन के दिलचस्प दृश्यों का वर्णन भी है। बहुत से क़िस्सों में हमें लोगों के बीच भागते-दौड़ते बच्चे दिखाई पड़ते हैं। ये महज़ इतालवी जनजीवन की एक ख़ूबी ही नहीं है। गोर्की के क़िस्सों में बच्चे उस भविष्य के प्रतीक के रूप में आते हैं जिसके लिए उनके माता-पिता संघर्षरत हैं। गोर्की उन्हें “बसन्त के अग्रदूत” कहते हैं। “स्वयं जीवन जिनका सृजन करता है उनसे श्रेष्ठ क़िस्से-कहानियाँ नहीं होतीं।” हान्स क्रिश्चियन एण्डर्सन के इन शब्दों को गोर्की ने अपनी पुस्तक के पहले पन्ने के लिए चुना था। ‘इटली की कहानियाँ’ के सार को इससे बेहतर ढंग से व्यक्त नहीं किया जा सकता।
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