Jaaga Hua Sa kuchh

About The Book

मन को आकर्षित उद्वेलित और चमत्कृत कर देने वाली रचनाओं का संकलन है 'जागा हुआ सा कुछ'। मैं तो कहता हूँ कवि कुछ नहीं पूर्ण रूप से जगा हुआ हैं। भारतीय दर्शन और अध्यात्म का जीवंत दस्तावेज है 'जागा हुआ सा कुछ'। हिंदी साहित्य ही नहीं विश्व साहित्य में आज तक इतनी उकृष्ट और औदात्यपूर्ण कविताओं का सृजन नहीं हुआ है। प्रस्तुत काव्य कृति विश्व साहित्य की अमूल्य धरोहर है। यह महज काव्य संकलन नहीं वरन भारतीय दर्शन का तरल महाकव्य है। इन कविताओं में बुद्ध की प्रज्ञा करुणा मुदिता मैत्री शील समाधि कृष्ण का कर्म भक्ति योग ज्ञान दर्शन ईशा मसीह का समर्पण त्याग मोहम्मद साहब का ईमान एकत्व दर्शन एकता कबीर का रहस्य सूफियों का प्रेम शंकर का अद्वैतवाद गोरखनाथ का हठयोग जैनियों का संशयवाद सब कुछ समाहित है। यहाँ आत्मा-परमात्मा से एकालाप संलाप व अंताप करती हुई नजर आती है। कवि डॉ. राकेश ऋषभ अस्तित्व की अतल गहराइयों में उतर कर चेतना के महासागर में स्नान करते नजर आते हैं। यह काव्य संकलन अद्भुत है। यह कवि ऋषभ का कमाल है कि नीरस माने जाने वाले विषय को कविता का शीर्षक बना कर काव्य रस की धारा बहा दी है। ऐसी अद्भुत लेखनी को सलाम। प्रत्येक कविताएँ अनूठी एवं अप्रतिम हैं। जो पाठक इस काव्य संग्रह को मनोयोग से पढ़ेगा वह भारतीय दर्शन की चाशनी में डूब जायेगा। अस्तित्व की अनन्त गहराइयों में गोते लगाएगा। जब वह काव्य रस सागर से बाहर आएगा तो कुछ नहीं पूर्ण रूप से जागा हुआ होगा। निर्वाण मोक्ष और कैवल्य को उपलब्ध हुआ होगा।
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE