द्यात्मक और पद्यात्मक शैली में उजागर किया है। भण्डारी जी की कविता जीवनसंघर्षी चेतना मानवीय मुक्ति सर्वहारा मध्यम वर्गीय विशाल जनसमुदाय की पक्षधरता में सौन्दर्यबोधी भावधारा प्रकट करती है। इन्होंने अपनी कविता में सामाजिक परिस्थितियों का कलात्मक प्रतिबिम्बन किया है। समकालीन साम्राज्यवादी शक्ति का सांस्कृतिक आर्थिक एवं राजनीतिक पृष्ठभूमि में जो शीत युद्ध की स्थिति बन रही है ऐसी परिस्थितियों को जनवादी सौन्दर्यबोधी सृजन कला अर्थात प्रगतिशील रचनाकारों के स्तर में प्रस्तुत किया है। इनकी कवितायें प्रगतिवादी मुक्ति संघर्ष राष्ट्र प्रेम प्रगतिवादी यथार्थ आलोचनापरक भावना नारी तथा दलित सौन्दर्य प्राकृतिक सौन्दर्य जनजागरण के लिए उत्साही भाव भंगिमा से ओत प्रोत हैं। इनकी कवितायें एक तरफ नेपाली समाज में जनचेतना का संचार करती हैं तो दूसरी तरफ गरीब शोषित उपेक्षित वर्ग समुदाय जाति और विकृत राजनीति के यथार्थ का बिंब प्रस्तुत करती हैं। इनकी कविताओं में बेरोजगारी भूऽे बाज की तरह नेपाली जनता के सिर पर मंडरा रही है।
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