जागो फिर इस बार उपन्यास भारतियों को जगाने के लिए लिखा है । यह कथा है वर्तमान शिक्षा प्रणाली के धूल धूसरित चेहरे की; यह कथा है शिक्षकों के चारित्रिक पतन की ; यह गाथा है प्राचीन शिक्षा प्रणाली की श्रेष्ठता की और यह महाकथा है भारतीय संस्कृति तथा प्राचीन वैज्ञानिक परम्परा के पुनर्स्थापना के लिए विद्यार्थियों के निर्माण की । इसका कथानक एक महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर बाबू चपरासी और विद्यार्थियों के ईर्द गिर्द बुना गया है । पतित प्राध्यापक कभी भी राष्ट्रवादी विद्यार्थियों का निर्माण नहीं कर सकते । पर एक सच्चरित्र प्राध्यापक डाॅ. द्रोण भारतीय संकल्प लेते हैं कि मैं विद्यार्थियों को भारत की गौरवगाथा बताकर उन्हें राष्ट्र के लिए तैयार करूंगा । वे विद्यार्थियों को तैयार करत
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