मैं अमावस्या की काली रात का ब्रमांड के घोर अंधरे मेंठहरा हूआ एक सपना हूँ.मेरा जन्म बरसों पहलेशून्य के आकर में हो चूका था.मगर साकार होकर हकीकत का आकर लेने के लिएबरसों काँटों भरी राह पर बिना रुके अकेला चला हूँ.राह में मिले राही ने रास्ते बदलेपहाड़ सा खड़ा रहा हूँमुश्किल हालत में भीख़्यालात नहीं बदले..उम्मीद की रौशनी के सहारेबरसों गुमनामी के अंधेरों मेंजीता रहा हूँ.वक़्त अपनी चाल से चलता रहा..और मेँ दुखों की चट्टानों से टकराकर अनुभवो के आँसूपीता रहा..शाम बनी है आजआपके नाम से..चलो मेँ भी कुछमांग लूँ शाम से.हमारे रिश्तों काऐसा आलम हो..चिराग रोशन हो
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.