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About The Book
Description
Author
वंदना शांतुइन्दु का यह कहानी संग्रह जड़ से उखड़े हुए मूलतः गुजराती भाषा में लिखा गया है जिसका हिन्दी में अनुवाद स्वयं लेखिका ने ही किया है। वास्तव में मातृभाषा में ही रचनात्मकता अपने शिखर को प्राप्त करती है। सृजन की सही भाषा मातृभाषा ही है। लेखिका ने अपनी मातृभाषा गुजराती में कहानियों को लिखा है और स्वयं उनका हिन्दी में अनुवाद इस प्रकार किया है कि भाव और शब्द दोनों अक्षुण्ण रहें। संयोग से मैं भी गुजराती और हिन्दी दोनों भाषाओं में पढ़ना-लिखना करता हूँ और इनकी कुछ कहानियों को गुजराती और हिन्दी दोनों भाषाओं में पढ़ा हूँ। इस आधार पर कह सकता हूं कि लेखिका ने हिन्दी में जो यह कहानी-संग्रह प्रकाश में लाया है वह किसी भी कोण से अनुवाद के कारण अपनी मौलिकता से दूर नहीं है।