Jaishankar Prasad Ki Sarva-Shrestha Kahaniyaan - Indrajaal; Chhota Jadugar; Paap ki Parajay & Other Stories


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About The Book

इस पुस्तक में 28 कहानियाँ संकलित हैं। आकाशदीप प्रतिध्वनि अपराधी बनंजारा और चूड़ीवाली को आंतरिक पुनर्जागरण का संपुष्ट कहना अतिशयोक्त नहीं होगी। ग्राम रसिया बालम शरणागत सिकंदर की शपथ अशोक जहाँनारा मदन-मृणालिनी भी इसी श्रेणी की कहानियाँ हैं। इंद्रजाल में मन का मन से वार्तालाप बहुत सुंदर है। छोटा जादूगर में दायित्व बोध का संदेश है। नूरी गुंडा अनबोला विराम चिन्ह जैसी रचनाओं में भीतरी व वाह्य का द्वंद का अंतर सम्मिश्रण है। इस तरह वह इतिहास व यथार्थ के सम्मिश्रण की कहानियों से आगे बढ़े हैं। उनकी लगभग सभी कहानियों में व्यक्ति की छटपटाहट है जो कभी समाज की कुरीतियों से लड़ती है तो कभी स्वयं से। यही मार्मिकता उन्हें जनसाधारण का लेखक निरूपित करता है। प्रसाद जी के द्वारा लिखी गई विभिन्न विधाओं में जो भी रचनाएँ हैं वह इनकी गहन अध्ययन शीलता का परिणाम है। प्रसाद की कहानियों में चित्रात्मकता नाटकीयता आंतरिक संघर्ष भीतरी और बाहरी दोनों को अभिव्यक्त करने की पूरी क्षमता है। इतना ही नहीं प्रसाद जी की कहानियों में जहाँ एक ओर भावनाओं की तीव्रता और मनोवेगों का चित्रण है वहीं दूसरी ओर वह कहानी को बांधकर रखते हैं। ये कहानियाँ हमें उनके व्यक्तित्व को समझने में न केवल सहायक होंगी बल्कि उनके और नज़दीक ले जाएँगी।
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