Jati ka Unmoolan जाति का उन्मूलन (Hindi Edition)

About The Book

हिंदुओं को सोचना चाहिए कि क्या अभी तक उनके लिए यह स्वीकार करने का समय नहीं आया है कि कोई भी वस्तु स्थिर नहीं है कोई भी वस्तु अपरिवर्तनीय नहीं है कोई भी वस्तु सनातन नहीं है प्रत्युत प्रत्येक वस्तु बदल रही है अतएव परिवर्तन ही व्यक्ति और समाज के जीवन का नियम है। संसार की बदली हुई परिस्थिति के अनुकूल जो व्यक्ति या समाज अपने जीवन में परिवर्तन नहीं लाता वह संसार के समुन्नत समाज के समक्ष सिर ऊंचा करके जीवित नहीं रह सकता। मेरी धारणा है इन प्रश्नों के सही हल पर आरूढ़ होना कल्याणकारी सिद्ध होगा। प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं सारी बातों का विस्तार से विवेचन किया गया है।
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