Jeene ke liye

About The Book

इतनी उम्मीद न थी। वादों को भूल जाने की ही बात नहीं बल्कि यह उल्टी छुरी से गला रेतना है। क्या 'सत्य अहिंसा' का पालन इसी तरह होता है? हरनंदन ने कांग्रेसी मंत्रिमण्डल के सवा साल के कार्यों पर टिप्पणी करते हुए कहा। सत्य और अहिंसा! क्या देख नहीं रहे हो. कैसी-कैसी सूरतें अब तिरंगे झंडे के नीचे खड़ी हो रही हैं? कमाल ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- रायबहादुर केशव सिंह सरकारी वकील बनाए गए हैं। अजी जनाब अमन सभा की सेवाओं का भी तो सरकार को ख़याल करना चाहिए था। कितने पुराने दोस्तों और साथियों को जेल का रास्ता दिखलाने के लिए कुछ पारितोषिक मिलना चाहिए। बटुक ने बालों को पीछे की ओर सहलाते हुए कहा। भाई यह गद्दी का महातम है जो उस पर बैठता है. वह ऐसा ही हो जाता है। नहीं साथी रामप्रसाद घबड़ाने की बात नहीं. इस अवस्था से भी पार होना पड़ता है। आख़िर खरे-खोटे की परख कैसे होगी?-निर्मल ने कहा। सो तो ठीक है निर्मल लेकिन देख-देखकर कुफ्त होती है। जो मूर्तियाँ आज झंडे के नीचे इकट्ठा हो रही हैं वह हृदय परिवर्तित करके नहीं आई हैं इसीलिए नहीं कि 'झंडा ऊँचा रहे हमारा'। आज कांग्रेस में कैसी गन्दगी है। ऐसे-ऐसे लोगों ने खद्दर पहनना शुरू किया है और ऐसे अभिप्राय से कि 'लम्बा टीका मधुरी बानी दगाबाज की यही निशानी' याद आती है। आखिर हम जा कहाँ रहे हैं? - इसी पुस्तक से
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