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About The Book
Description
Author
जीवन में प्रेम का साक्षात्कार महत्वाकांक्षा जीवन को ज्वरग्रस्त करने का मार्ग है। फिर क्या और कोई रास्ता नहीं हो सकता? रास्ता है। वह रास्ता है प्रेम का महत्वाकांक्षा का नहीं। संगीत से प्रेम सिखाएं दूसरे संगीत सीखने वाले से प्रतिस्पर्धा नहीं। गणित से प्रेम सिखाएं दूसरे गणित के विद्यार्थी से प्रतियोगिता नहीं। मैं संगीत ऐसे भी तो सीख सकता हूं कि मुझे संगीत से प्रेम है। और तब मैं किसी दूसरे से आगे नहीं निकलना चाहता हूं तब मैं अपने से ही रोज आगे निकलना चाहता हूं। आज जहां मैं था कल मैं उसके आगे जाना चाहता हूं। किसी दूसरे के मुकाबले नहीं अपने मुकाबले में। रोज अपने को ही अतिक्रमण कर जाना चाहता हूं अपने पार हो जाना चाहता हूं। जहां कल सूरज ने मुझे पाया था आज का उगता सूरज मुझे वहां न पाए। मेरा प्रेम मेरी एक गहन यात्रा बन जाता है। निश्चित ही संगीत प्रेम से सीखा जा सकता है गणित भी। और मैं तुमसे कहूं दुनिया में जिन्होंने सच में संगीत जाना है उन्होंने प्रेम से जाना है। महत्वाकांक्षा से किसी ने भी नहीं। जिन्होंने दुनिया में गणित की खोजें की हैं उन्होंने गणित के प्रेम से की हैं किसी की प्रतिस्पर्धा के कारण नहीं। हमारे भीतर खोज लेना जरूरी है प्रेम को जगा लेना जरूरी है प्रेम को।