Jeevan Kranti Ke Sutra : Sambhog Se Samadhi Ki Aur - IV (जीवन क्रांति के सूत्र : सम्भोग से समाधि की ओर भाग - 4) & Diya Jale Saari Raat : Bin Baati Bin Tail (दीया जले सारी रात : बिन बाती बिन तेल)
This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.तुम अगर अंधेरे होते तो तुम्हारी मुक्ति का कोई उपाय नहीं था। अंधेरे की कोई मुक्ति नहीं हो सकती। क्यों? अंधेरा है ही नहीं। तुम्हारी मुक्ति हो सकती है क्योंकि तुम अंधेरा नहीं हो। बिन बाती बिन तेल तुम जल रहे हो। तुम्हारे भीतर एक दीया है जो सदा से जल रहा है। सदा जलता रहेगा। कितना ही ढंक जाए जैसे बादल आ जाते हैं आकाश में सूरज ढंक जाता है। इससे कोई सूरज मिटता नहीं। जरा बादलों की परतों को हटाओ सूरज फिर प्रकट हो जाता है। थोड़ी सी हवाएं चाहिए बुद्धपुरुषों की कि तुम्हारे बादल छितर-बितर हो जाएं और तुम्हें स्मरण आ जाए कि तुम कौन हो ! आत्मबोध--कोई आत्मा को पैदा करना नहीं है सिर्फ भूली आत्मा की पुनः स्मृति है सुरति है।<br>- ओशोओशो के प्रखर विचारों ने ओजस्वी वाणी ने मनुष्यता के दुश्मनों पर संप्रदायों पर मठाधीशों पर अंधे राजनेताओं पर जोरदार प्रहार किया। लेकिन पत्र-पत्रिकाओं ने छापीं या तो ओशो पर चटपटी मनगढंत खबरें या उनकी निंदा की भ्रम के बादल फैलाए। ये भ्रम के बादल आड़े आ गये ओशो और लोगों के। जैसे सूरज के आगे बादल आ जाते हैं। इससे देर हुई। इससे देर हो रही है मनुष्य के सौभाग्य को मनुष्य तक पहुंचने में।
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