जीवन सरल नहीं है | जीवन में हर मोड पर मुश्किल आती रहती है | यह कभी आता है किसी को कुछ भी पता नहीं चलता है |पैसे हो या ना हो कुछ भी कह नहीं सकते हैं | हां मगर पैसे न हो तो कोई साथ नहीं देता है |चाहे कितने भी अपने क्यूं ना हो | खुद के लिए पैसे जरूर कमाना है |तब जीने का मजा आता है |लेखक के बारे में दो शब्दमंजुलता मोहापात्र पिछ्ले 30 सालो से साहित्य के क्षेत्र में निरन्तर सक्रिय है । उनके द्वारा। लिखे गए 14 किताब प्रकाशित हुए हैं । वो हिन्दी अँग्रेज़ी मराठी ओडिआ भाषा में लिखती है । हाल ही में उनके द्वार। लिखे गए उड़िया में गुरु माँ प्रकाशित हुआ है ।
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