“झाँसी की रानी एवं अन्य कविताएँ” महान कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की अमर रचनाओं का संग्रह है — एक ऐसा संकलन जिसमें देशभक्ति नारी-सशक्तिकरण और संवेदना के स्वर एक साथ गूंजते हैं। इस संग्रह की प्रमुख कविता “झाँसी की रानी” वह ओजस्वी रचना है जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के युग में हर देशवासी के हृदय में वीरता और स्वाभिमान की ज्योति प्रज्वलित की। सुभद्रा जी की अन्य कविताएँ भी उतनी ही भावपूर्ण हैं — कहीं माँ का कोमल स्नेह झलकता है कहीं नारी की दृढ़ता और समाज के प्रति उसकी संवेदनशीलता। उनकी भाषा सरल भावनाएँ गहरी और अभिव्यक्ति प्रखर है — जो सीधे पाठक के हृदय में उतर जाती है। यह पुस्तक केवल कविता-संग्रह नहीं बल्कि भारत की आत्मा की पुकार और स्त्री की अटूट शक्ति का प्रतीक है। “सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी बूढ़े भारत में आई फिर से नई जवानी थी।”
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