झीनी सी “याद मुबारक”..... ये मात्र एक किताब नही ये हम सब की ज़िंदगी से जुड़ी यादें हैं। हम सब यादों की एक गठरी लेकर चल रहे हैं असल में हम हैं ही यादों का एक पुतला जो अपने बीते दिनों में खोया रहता है। सब के पास अपनी अपनी यादें हैं। जवानी में बचपन को याद करते हैं बुढ़ापे में जवानी को याद करते हैं शहर आ जाते हैं तो गाँव याद आता है गुजर जाने पर माँ – बाप याद आते हैं और प्रेमी – प्रेमिका का तो अपना अलग ही “याद नगर” है। हमें हर वो पल याद आता है जो बीत जाता है हर वो रिश्ता याद आता है जो टूट जाता है।
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