जीने की लालसा.... अपने आप को एक बेहतर इंसान मानने वाले अमृत यादव द्वारा लिखित गई ये किताब केवल कविताओं और शेरों का संग्रह नहीं है बल्कि यूँ कह लीजिए कि हर पन्ना हर कविता और हर शेर जीवन की कठिनाइयों से ड़टकर सामना करने की सीख देता है । अपने शब्दों के माध्यम से पाठकों को यह बताना चाहते है कि अगर व्यक्ति कुछ करने की ठान ले उसमें जीने की चाह हो और अपने तजुर्बों से सीखे तो उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं है । किताब की संपादक दीक्षा सुमन ने बेहद खूबसूरती से किताब को संपादित किया है ।
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