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About The Book
Description
Author
अप्पी मैं अकेली नहीं जाऊंगी तुम भी चलो न मेरे साथ ऐसे नहीं रह सकती मैं तुम्हारे बिना.. चलो न अप्पी मुझे बहुत डर लग रहा है वो तुम्हें भी मार देगा अम्मी अब्बू की तरह..! एक बच्ची जिसकी उम्र 4-5 साल थी वो अपनी बड़ी बहन से कह रही थी..जिसकी उम्र 13-14 साल थी।वो दोनों एक बहुत ही बड़े महल के किले की खिड़की के पास खडी़ थी और वह उसे वहां से कुदने के लिए कह रही थी। वो बिल्कुल अजीब सी जगह थी जहां पर अजीब नीले रंग की रौशनी फैली थी।वो महल बहुत खूबसूरत था उसकी दिवारे चांदी की बर्तन की सफेद और चमकदार थी। हयात मेरी जान मेरी प्यारी बहना..मुझे कुछ नहीं होगा और तुम्हें भी कुछ नहीं होगा तुम कूदो यहां से.. ये ताबीजे जिन्न तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे और हमेशा तुम्हारे हिफाजत करेंगे।वह लड़की अपने गले से ताबीज उतारकर उसे पहनाते हुए कहती है जिसमें तीन चमकदार पत्थर लगे हुए थे और तीनों से अलग-अलग रंगों की चमकदार रौशनी निकल रही थी। वह बच्ची उस ताबीज की चमक को देखने लगती है और तभी उसके पीछे से किसी की बहुत ही खौफनाक आवाज सुनकर वो दोनो डर जाती है