इस कहानी में आध्यात्मिक दार्शनिक नैतिक तथा मानवीय बिन्दुओं पर भी लेखक ने अपनी सोच प्रवुद्ध पाठकों के सम्मुख रखने का प्रयास किया है जैसे कर्मफल और भाग्य का सिद्धांत धन की प्राप्ति के लिए किये गए कर्मों का उसे उपभोग करने वाले व्यक्ति पर प्रभाव सृष्टि की सम्पूर्ण गतिविधियों को संचालित करता काल-चक्र जीवन-यात्रा को सफल बनाने मृत्यु के भय से छुटकारा पाने तथा मोह के प्रतिकार हेतु कुछ सुझाव 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' के रूप में भारतीय जीवन-दर्शन में समाहित सबके कल्याण की कामना आधुनिक विज्ञान तथा प्राचीन भारतीय दर्शन का पारस्परिक सम्बन्ध आदि।इस सम्बन्ध में लेखक द्वारा जो भी विचार व्यक्त किये गए हैं वे प्राचीन भारतीय दर्शन-ग्रंथों में प्रतिपादित सिद्धांतों समय-समय पर मूर्धन्य मनीषियों द्वारा की गयी विवेचना तथा स्व-चिंतन-मनन के माध्यम से जितना उसके द्वारा इस विषय को समझा जा सका. पर आधारित है। परन्तु चूँकि उक्त विषय अत्यंत गूढ़ हैं जिनके बारे में बड़े-बड़े विद्वान भो एकमत नहीं हो पाते अत हो सकता है कि कुछ सुधी पाठकगण पुस्तक में प्रस्तुत किन्हीं विचारों से सहमत न हों। इसलिए लेखक का विनम्र निवेदन है कि इस सम्बन्ध में यदि उनके कोई पृथक विचार हों तो कृपया लेखक को उनसे अवगत कराएं. क्योंकि परस्पर विचार-विनिमय से बहुत सी भ्रांतियां मिट जाती हैं। फिर सत्य से साक्षात्कार कोई सरल कार्य नहीं है. जिस तक पहुँचने के अनेक मार्ग एवं ढंग बताये गए हैं।
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