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About The Book
Description
Author
संवेदनाएँ जोगन ही तो हैं जो नित भावों के भिन्न-भिन्न द्वार विचरण करती हैं। भावों के सुंदर फूलों की गंध में दीवानगी होती है जो मदहोश करके मन को सुगन्धित कर देती है। इसी तरह साहित्य के अतल सागर में अनगिनत मोती छुपे हुए हैं। जितना गहराई में जाओ हाथ कभी खाली बाहर नहीं आते हैं। संवेदनाओं को भिन्न-भिन्न रूप में व्यक्त करना जहाँ हृदय को सुकून प्रदान करता है वहीँ मन इन्हीं जोगनी गंधों में असीम सुख का अनुभव करने लगता है। - शशि पुरवार (भारत की 100 अचीवर्स में से एक)