Jurate Izhar

About The Book

ग़ज़लकार प्रकाश लखानी की 70 ग़ज़लों और कुछ मुतफ़़र्रिक अश’आर का ख़ूबसूरत गुलदस्ता है ‘जुरअते-इज़हार‘।इसमें जहाँ ख़ुशियों के फूल खिल रहे हैं वहीं ग़म और दर्द के कांटे भी चुभ रहे हैं। ग़ज़लकार ने अपने दिल की हर बात बेबाकी से आम आदमी की समझ में आने वाली गंगा-जमनी ज़बान में कही है।क़लम और कल्पना के कमाल ने इस ग़ज़ल संग्रह को बेमिसाल बना दिया है।प्रत्येक ग़ज़ल में विभिन्न भाव प्रकट करते हुए अश’आर हैं जैसे-अध्यात्म रूहानी इश्क़ सच्चा प्यार महबूब की बेवफ़ाई मिलन की ख़ुशी बिछड़ने का दर्द राजनीति भ्रष्टाचार आदि।इसके अतिरिक्त जीवन की विसंगतियों मानवीय मूल्यों के हनन रिश्तों में बढ़ती खटास तल्खि़यां और दूरियां आज के दौर की धर्मांधता नफ़रत लड़ाई-झगड़े हत्याएं मार-काट से व्यथित ग़ज़लकार अपने भाव प्रकट कर रहा है।यह ग़ज़लें ग़ज़लकार के ज़हन से निकलकर पाठक की सोच को झिंझोड़ती हैं और सीधी राह दिखाती हैं।
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