Juthan Or Dalit Sahitya
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About The Book

भारत में दलितों का शोषण उत्पीड़न बहिष्कार नरसंहार आदि अनवरत चलने वाली घटनाएँ हैं जो आजादी के सत्तर साल बाद भी लगातार जारी हैं। वेलछीकाण्ड कफल्टाकाण्ड गोहानाकाण्ड प्रथम गोहानाकाण्ड द्वितीय साढ़ूपुरकाण्ड नारायणपुरकाण्ड झज्जर-दुलीनाकाण्ड आदि ऐसे काण्ड हैं जिसमें दलितों की निमर्म हत्याएँ आगजनी लूटपाट दलित लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार दलितों को निर्वस्त्र सड़कों पर घुमाएँ जाने जैसी अनेक घटनाएँ शामिल हैं। जूठन हिन्दी दलित साहित्य के प्रवर्तक प्रतिष्ठापक विचारक पुरस्कर्ता और आधार स्तम्भ माने जाने वाले लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा है जिसमें उनके समुदाय के शोषण उत्पीड़न दमन तिरस्कार बहिष्कार गरीबी अपमान अस्पृष्यता आदि का चित्रण है। दलित आत्मकथा की यह विशिष्टता है कि वह व्यक्ति की आत्मकथा होते हुए पूरे समाज की कथा होती है इसी कारण ओमप्रकाश वाल्मीकि के जीवन-संघर्ष के माध्यम से हमें पूरे दलित समाज के जीवन संघर्ष की जानकारी मिलती है। जूठन में व्यक्त ओमप्रकाश का जीवन-संघर्ष दलित समाज के जीवन-संघर्ष का ज्वलन्त उदाहरण है जो उनको अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देता है। इस पुस्तक को तीन अध्यायों में विभाजित किया गया है। पहले अध्याय के अन्तर्गत ओमप्रकाश वाल्मीकि और उनकी आत्मकथा का परिचय दिया गया है। दूसरे अध्याय में दलित साहित्य के सैद्धान्तिक पक्ष को विभिन्न बिन्दुओं के माध्यम से विष्लेषित किया है। तीसरे अध्याय में दलित सन्दर्भों को आधार बनाकर ‘जूठन’ की व्याख्या प्रस्तुत की गई है। निष्कर्ष स्वरूप उपसंहार प्रस्तुत किया गया है। परिशिष्ट में आधार ग्रन्थ के साथ-साथ सहायता प्राप्त करने वाली पुस्तकों की सूची दी गई है। यह पुस्तक आदरणीय श्री ओमप्रकाश नारायण द्विवेदी जी के कुशल निर्देशन में सम्पन्न हुई है।
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