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About The Book
Description
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मनुष्य को कमों के अनुरूप ही फल मिलता है। कर्म और फल का अटूट संबंध है। जिस प्रकार बड़ा सहस्रों गायों के बीच में खड़ी अपनी माता को ढूंढ निकालता है उसी प्रकार मनुष्य का कर्म भी फल के लिए कर्ता को ढूंढ लेता है।<br>जीवन में सफलता मुख्यतः सम्यता या गरीबी पर निर्भर करती है। ज्योतिष में योगों का उद्देश्य धन प्रसिद्धि श्रेणी स्थिति खराब स्वास्थ्य और दुर्भाग्य की सीमा दर्शाना है जो पूर्व जन्म के अपने कमों के अनुसार इस जन्म के मानव जीवन में प्राप्त होती है।<br>प्रारब्ध कर्म एवं भाग्य एक ही कड़ी के सूत्र है। कहते है कि कर्म भी बगैर भाग्य के नहीं फलीभूत होते जीवन में प्रगति एवं सफलता दिलाने में जितना प्रभाव भाग्य दिखलाता है उतना कोई अन्य नहीं विश्व में लाखों व्यक्ति गुणों से संपन्न है परंतु लक्ष्मी की कृपा के बिना उनकी समाज में कुछ भी इज्जत नहीं है। चाणक्य ने ठीक ही कहा है कि निर्धनता आज के युग का सबसे बड़ा अभिशाप है। यदि आप भी अपने जीवन में लक्ष्मीवान बनना चाहते हैं तो यह पुस्तक आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।<br>लक्ष्मीवान बनने के लिए अपने लग्न अनुसार जानिए-<br>• कौन सा रत्न धारण करें-<br>• किस ग्रह की पूजा-उपासना करें-<br>• कौन से मंत्र या किस स्तोत्र का पाठ करें- किस वार का व्रत करें-<br>• क्या दान करें-<br>• कोन से ग्रह कारक है और कोन अकारक- किस ग्रह की दशा में होगी लक्ष्मी प्राप्ति-<br>• कर्ज मुक्ति के लिए क्या करें-<br>• कौन-सा कवच धारण करें या पाठ करें-<br>• कौन-सा पिरामिड उपयोग करें-<br>• वास्तु अनुसार क्या करें-<br>• फेंगशुई अनुसार क्या करें-<br>• लक्ष्मी के कौन से यंत्र या साधना सामग्री का प्रयोग करें-<br>• लक्ष्मी प्राप्ति के दिव्य घरेलू उपाय-<br>और भी बहुत कुछ जानकारियां है इस पुस्तक में जो आपको समृद्धि के द्वार तक पहुंचाएंगी।