Kaal Akaal (Ghazal)
shared
This Book is Out of Stock!


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
149
225
33% OFF
Paperback
Out Of Stock
All inclusive*

About The Book

दरअसल निरंतर विकसित हो रही हिंदी ग़ज़ल की बुनियादी जमीन भी वही है जो हिंदी कविता की है। प्रगतिशीलता जनपक्षधरता और जनप्रतिरोध एवं बौद्धिक घटाटोप और निरी रूमानियत से प्रायः मुत्तफ़। कुछ लोग हिंदी ग़ज़ल को उर्दू ग़ज़ल की बहन कहते हैं लेकिन मेरे विचार से सहेली कहना ज़्यादा सही होगा। कैलाश मनहर की ये ग़ज़लें भी दोनों भाषाओं के इस रिश्ते और उनकी हिंदुस्तानियत को पहचानती हैं
downArrow

Details