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About The Book
Description
Author
‘‘भावना तुम्हारा फोन।’’ भावना उस समय कॉलेज जाने के लिए साड़ी पहन रही थी उसने आश्चर्य से पूछा ‘‘किस का फोन है?’’ ‘‘तुम्हारे किसी विद्यार्थी।’’ मिस्टर अजवाणी ने उत्तर दिया। भावना ने शीघ्रता से साड़ी पहनी टेलीफोन का रिसीवर उठाया ‘‘हैलो।’’ ‘‘दीदी!’’ स्वर में घबराहट थी। ‘‘कहो अरुणा।’’ ‘‘दीदी क्या आप नाटक में भाग नहीं लेंगी?’’ ‘‘किसने कहा तुम्हें?’’ भावना ने पूछा। ‘‘आपके पति राजाणी अंकल को कह रहे थे।’’ ‘‘यह हो नहीं सकता।’’ ‘‘सच दीदी कल रात ही राजाणी अंकल आपके घर आए थे आप सोई हुई थीं। मिस्टर अजवाणी ने उससे कहा कि आपकी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए उन्होंने उसको आपसे मिलने नहीं दिया और उससे यह भी कहा कि आप नाटक में भाग नहीं लेंगी और उन्होंने राजाणी अंकल को आप से मिलने के लिए भी मना कर दिया है।’’ —इसी संग्रह से मानवीय संबंधों पर केंद्रित ये कहानियाँ और उनका कथानक पाठकों को अपने बीच का ही लगेगा। ये पठनीय कहानियाँ आज के भागमभाग वाले जीवन में सुकून देंगी शीतलता का अहसास देंगी।.