Kabir Vani

About The Book

संत कबीरदास न केवल सन्त काव्यधारा के अपितु सम्पूर्ण हिंदी साहित्य के महान कवियों में से एक थे। यद्यपि वे निरक्षर थे परन्तु फिर भी उनकी अभिव्यक्ति की क्षमता विलक्षण थी। कबीरवास जी के दोहों का संकलन उनके शिष्य धर्मदास ने बीजक नाम से तीन भागों में संकलित किया था-साखी सबद रमैनी। इनके कुछ पद्य गुरुग्रंथ साहिब में भी मिलते हैं। कबीर निर्गुण-निराकार ब्रह्म में विश्वास करते थे उनका मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त हैं। इसी कारण से वे बहुदेववाद मूर्तिपूजा और अवतारवाद का खंडन करते थे। उन्होंने सदाचार पर बल दिया और कहा कि भक्ति के क्षेत्र में आडम्बरों की नहीं अपितु सद्भावना की आवश्यकता है। कबीरवाणी में कबीरदास जी के इन्हीं विचारों को संकलित किया गया है।
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE