KABIRA DUKHIYA YAH SANSAR
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चित्रगुप्त समकालीन साहित्य के एक संभावनाशील रचनाकार हैं जो अपनी कथाओं और कविताओं में मानवीय संवेदनाओं के गहरे रंगों को व्यंग्य के तीखे स्वरों के साथ मिश्रित करते हैं। उनकी लेखनी में एक ओर जीवन की सूक्ष्म अनुभूतियों का कोमल स्पर्श है तो दूसरी ओर सामाजिक विसंगतियों पर तीक्ष्ण प्रहार। यह संयोजन उनकी रचनाओं को न केवल पठनीय अपितु चिंतन-मनन का विषय भी बनाता है। अंतर-विधात्मक अनुप्रयोगों के माध्यम से उन्होंने साहित्य की परंपरागत सीमाओं को लांघकर अपने लेखन को एक नया आयाम दिया है जो पाठक के हृदय और मस्तिष्क को समान रूप से उद्वेलित करता है। उनकी रचनाएँ गीत ग़ज़ल उपन्यास व्यंग्य लघुकथा और कविता जैसी विविध विधाओं में साकार हुई हैं और उनकी लगभग एक दर्जन कृतियाँ प्रकाशित हैं। समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में उनकी कहानियाँ और ग़ज़लें नई स्फूर्ति के साथ पाठकों तक पहुँचती हैं।... ...चित्रगुप्त की लेखनी में सामाजिक यथार्थ और व्यक्तिगत अनुभूतियों का संनाद है जो पाठक और लेखक के मध्य एक सेतु बनाता है। उनकी रचनाएँ पाठक को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती हैं साथ ही समाज की वक्रताओं पर सोचने के लिए विवश करती हैं।
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