इस पुस्तक के माध्यम से आज के समय से हज़ार साल पहले की एक काल्पनिक घटना से लेकर निकट भविष्य की कल्पना के इर्दगिर्द कहानी का तानाबाना बुनकर एक स्पष्ट संदेश देने का प्रयास किया गया है कि यह आधुनिक लोकतंत्र धर्मनिरपेक्षता सेकुलरिज्म या बहुलतावादी समाज सही मायनों में एक कच्ची और कमज़ोर धरातल पर खड़े उस आलीशान महल जैसा है जो किसी भी वक्त कट्टरता जेहाद और अंधधर्मांधता के तूफान में भरभराकर ढह जाता है। अंत में दया धर्म और सहिष्णुता की बातें करने वालों की ज़िन्दा कब्रें ही उस महल के भीतर रह जाती हैं।
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