संस्कृत के प्रख्यात गद्यकार बाणभट्ट सातवीं शताब्दी में राजा हर्षवर्धन के समय में हुए। उनकी दो कृतियाँ हर्षचरितम् तथा कादम्बरी संस्कृत गद्य का अपार वैभव और सौंदर्य ही नहीं भारतीय कथा का अद्भुत संसार भी हमारे सामने खोलती हैं। बाणभट्ट की कादम्बरी पारंपरिक कथा की विधा को अद्वितीय योगदान भी है और आधुनिक उपन्यास की विधा का एक भारतीय मानक भी प्रस्तुत करती है। इसके औपन्यासिक कलेवर और विस्तार के कारण ही मराठी में उपन्यास के अर्थ में ‘कादम्बरी’ शब्द एक जातिवाचक संज्ञा भी बन गया। प्रस्तुत उपन्यास बाणभट्ट कीकादम्बरी का एक ह और नवीन रूपांतर है जिसे संस्कृत के जाने-माने विद्वान् तथा साहित्यकार राधावल्लभ त्रिपाठी ने रचा है। यह कादम्बरी पर आधारित एक मौलिक नई कृति होने के कारण भारतीय कथा के आस्वाद के नए धरातल प्रस्तुत करता है।.
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.