Kagar Ki Aag Aur Su-Raj Natak (कगार की आग और सु-राज नाटक)


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About The Book

सुराज जब पढ़ना शुरू किया तो जी खुश हो गया। तीनों ही नवलिकाएं (जो मिलकर एक ही बृहत्तर कथा है) बहुत अच्छी लगीं। खूब सधा हुआ लेखन है। सारा परिवेश उस अंचल का आंखों के आगे खिंच जाता है और जी दहल उठता है- क्या यही आज का हमारा पहाड़ है जहां कुछ ही बरस पहले तक कोई अपराध का नाम भी नहीं जानता था। लोग घरों में ताला तक नहीं लगाते थे हत्या बलात्कार की तो बात ही अलग है। यह तो एक भयानक देश है जिसकी तसवीर आपने खींची है और बड़ी महीन रेखाओं में खींची है। मेरी हार्दिक बधाई लें।- अमृतराय प्रसिद्ध कथाकार साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त
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