जन्म : 21 जुलाई 1915 बदायूँ (उत्तर प्रदेश)। इस्मत ने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़े की दबी-कुचली-सकुचाई और कुम्हलाई लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों व उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया है। इस्मत चुग़ताई पर उनकी मशहूर कहानी लिहाफ़ के लिए लाहौर हाईकोर्ट में मुक़दमा चला लेकिन ख़ारिज हो गया। गेन्दा उनकी पहली कहानी थी जो 1949 में उर्दू साहित्य की सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक पत्रिका 'साक़ी’ में छपी। उनका पहला उपन्यास जि़द्दी 1941 में प्रकाशित हुआ। मासूमा सैदाई जंगली कबूतर दिल की दुनिया अजीब आदमी और बांदी उनके अन्य उपन्यास हैं। कलियाँ चोटें एक रात छुई-मुई दो हाथ दोज़ख़ी शैतान आदि कहानी-संग्रह हैं। हिन्दी में कुँवारी व अन्य कई कहानी-संग्रह तथा अंग्रेजी में उनकी कहानियों के तीन संग्रह प्रकाशित जिनमें काली काफ़ी मशहूर हुआ। कई फि़ल्में लिखीं और जुनून में एक रोल भी किया। 1943 में उनकी पहली फि़ल्म छेड़-छाड़ थी। कुल 13 फि़ल्मों से वे जुड़ी रहीं। उनकी आखि़री फि़ल्म गर्म हवा (1973) को कई अवार्ड मिले। साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा उन्हें 'इक़बाल सम्मान’ 'मख़दूम अवार्ड’ और 'नेहरू अवार्ड’ भी मिले। उर्दू दुनिया में 'इस्मत आपा’ के नाम से विख्यात इस लेखिका का निधन 24 अक्टूबर 1991 को हुआ। उनकी वसीयत के अनुसार मुम्बई के चन्दनबाड़ी में उन्हें अग्नि को समर्पित किया गया।
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